अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं। जो निम्नलिखित हैं-
विधिवाचक – जिस वाक्य में किसी कार्य का करना या होना सामान्य रूप से प्रकट हो, उसे विधिवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे –
- शाम हाॉकी खेल रहा है।
- वह एक अच्छी लड़की है।
आज्ञार्थक – जिस वाक्य में आज्ञा, प्रार्थना अथवा परामर्श का भाव प्रक्ट हो, उसे आज्ञार्थक वाक्य कहा जाता है। जैसे-
- ऊपर चले जाईये।
- सड़क पर नियमों का पालन करना चाहिये।
प्रश्नवाचक – जिस वाक्य में कोई प्रश्न पूछा गया हो, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे-
- कहाँ से आ रहे हो?
- क्या आप कल पाठशाला जायेंगे?
इन वाक्यों के अन्त में प्रश्नसूचक चिह्न ( ? ) अवश्य लगायें।
निषेधवाचक वाक्य – जिस वाक्य में किसी काम का न होना प्रकट हो, उसे निषेधवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे-
- मैं आज दिल्ली नहीं जा रहा।
- चोरी मत करना।
इन वाक्यों में न, ना, मत, नहीं आदि शब्दों का प्रयोग होता है।
विस्मयादिबोधक वाक्य – जिस वाक्य से हर्ष, शोक, दुख या आश्चर्य का भाव प्रकट हो, उसे विस्मयादिबोधक वाक्य कहा जाता है। जैसे –
- वाह ! प्रसन्नता की बात है !
- आप को बधाई हो !
विस्मयादिबोधक चिह्न ( ! ) का प्रयोग अवश्य करें।
सन्देहवाचक वाक्य – जिस वाक्य में कार्य के होने के विषय में सन्देह व्यक्त किया गया हो, उसे सन्देहवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे –
- कदाचित्, वह कक्षा में पास हो जाये।
- संभवत: वह पहुँच गया होगा।
इच्छावाचक वाक्य – जिस वाक्य से इच्छा या शुभकामना का भाव प्रकट होता हो, उसे इच्छावाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे-
- काश ! तुम आज पहुँच सकते !
- युग-युग जीओ मेरे लाल !
सङ्केतवाचक वाक्य – जिस वाक्य में किसी कार्य का होना किसी दूसरी बात पर निर्भर होता हो, उसे सङ्केतवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे-
- घण्टी बजते ही छुट्टी हो जायेगी।
- कहना मान जाते तो इतनी चोट नहीं लगती।
Soooooooooooooooooooooooooooooooooooooooo good.
Happy you found it useful, Parmjeet.
Please give to me exercise of ch 3
I am sorry but I don’t understand what do you mean by chapter 3.
please give exercise of this chapter….
Dear Tripti,
Thanks! I will try providing that though right now I don’t have that available. Thanks once again!