आधुनिक हिन्दी भाषा में अक्षर विन्यास में भिन्नता
जैसे कि हम अङ्ग्रेज़ी (अङ्गल) भाषा के विस्तार की गाथा को देखते हैं और पाते हैं कि इंगलैंड तथा अमेरिकी भाषा के अक्षर विन्यासों में अन्तर है। कम्पयूटर युग नें अमेरिकी पद्धति को बढ़ावा दिया तथा एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर बनाकर उसका ही प्रयोग सर्वव्यापक बना दिया। उदाहरण स्वरूप पत्र लिखते समय पत्र की सम्पूर्ण पङ्कतियाँ बाईं ओर से जस्टीफ़ाईड हो गई। अनुच्छेद के आरम्भ में अतिरिक्त हाशिया छोड़ने के प्रथा अब लगभग समाप्त हो चुकी है।
इसको विभिन्नता प्रदान करने हेतु अमेरिकी तथा ब्रिटिश अंग्रेज़ी भाषा को दो पृथक-पृथक पद्धतियों के नाम से जाना जाने लगा।
सादृश्य यदि हिन्दी भाषा की बात करें तो हम पायेंगे कि हिन्दी भाषा में भी दो प्रकार के अक्षर विन्यास की पद्धति चल पड़ी है। उदाहरण स्वरूप यदि आप देखें कि कुछ शब्द भिन्न रूप से लिखे जाते हैं–
Old Usage | New Usage |
जायेंगे | जाएंगे, जाएँगे |
पायेंगे | पाएंगे, पाएँगे |
मनायें | मनाएं, मनाएँ |
मातायें | माताएं, माताएँ |
यदि आप देखें तो मिलेगा कि ये दोनों प्रकार से अक्षरों का प्रयोग होता है। नई पुस्तकों में तो नये प्रकार के अक्षर विन्यास का सम्पूर्ण रूप से ही मान लिया है। तो नई पीढ़ी जो हिन्दी भाषा सीखेगी वो नये रूप से ही हिन्दी सीखेगी जैसे कि नई पीढ़ी अंग्रेज़ी भाषा सीखती है।
व्यक्तिगत रूप में मैं पुराने अक्षर विन्यास का प्रयोग ही करता हूँ। आप क्या करते हैं हमें बतायें।