ये कहानी कल ही मैंने अपनी बेटी को सुनाते हुये बनायी थी। जैसा कि मैंने पहले भी कहानियों में लिखा था कि जो भी कहानी अच्छी लगेगी वो मैं अपनी वेबसाईट पर डाल दिया करुँगा ता कि अन्य माता-पिता भी अपने बच्चों को वो कहानी सुना सकें। यदि उनको वो कहानी सरल तथा अच्छी लगे तो वो उसे पाठशाला की किसी गतिविधि के प्रयोग में भी ला सकते हैं।
ये कहानी एक छोटी बच्ची तथा उसके द्वारा बचाई गई एक छोटी मछली की है। उम्र के अनुसार ये कहानी प्रथम कक्षा के बच्चों तक के लिये अच्छी रहेगी। यदि आपको इस कहानी के विषय में या कोई अन्य टिप्पणी करनी हो तो कृपया अवश्य लिखें।
बाल कहानी–लड़की और मछली
एक बार की बात है एक छोटी लड़की थी। उसका घर समुद्र के तट (बीच) के पास ही था। वो प्रायः वहाँ खेलने जाया करती थी। समुद्र की तरङ्गे बहुत बड़ी हुआ करती थी तो वो उनमें तैरने से कतराती थी। परन्तु वो अपने साथ एक छोटी सी बाल्टी ले जाया करती थी जिस में वो पानी भर भरकर अपने ऊपर डाल लिया करती थी।
उस दिन भी वो समुद्र तट पे आनन्द पूर्वक खेल रही थी कि तभी उसकी दृष्टि एक विचित्र सी वस्तु पर पड़ी जो सूर्य के प्रकाश के कारण चमचमा रही थी तथा कुछ-कुछ हिल भी रही थी। उसने पास जाकर देखा तो उसे पता चला कि ये तो एक छोटी मछली थी जो कि समुद्र की लहरों के साथ-साथ तट पर आ गई थी। समुद्र का पानी तो वापस चला गया पर वो वहीं रेत पर ही रह गई। पानी के बाहर वो छटपटा रही थी तथा अपनी अन्तिम साँसें गिन रही थी।
उस छोटी लड़की को अपनी कक्षा में पढ़ी हुई कविता स्मरण हो गई जिस में बताया जाता है कि मछली को यदि पानी के बाहर निकालो तो वो मर जाती है।
मछली जल की रानी है
जीवन उसका पानी है
हाथ लगाओ तो डर जायेगी
बाहर निकालो तो मर जायेगी
बस इतना समझ आते ही उसने अपनी बाल्टी में थोड़ा पानी भरा तथा झट से मछली को उठाकर बाल्टी में डाल लिया। पानी मिलने के कारण मछली ने छटपटाना बन्द कर दिया तथा वो बाल्टी में ही तैरने लगी।
उस छोटी बच्ची ने थोड़ा साहस जुटाया तथा पानी के थोड़ा भीतर जाकर मछली को समुद्र में छोड़ दिया। मछली समुद्र में जाकर तैरने लगी तथा शीघ्र ही आँखों से ओझल हो गई।
छोटी लड़की को बहुत प्रसन्नता हुई। उसने घर आकर ये बात अपनी माँ को बतायी तो वो बहुत आनन्दित हो गईं तथा उन्होने उसे गले से लगा लिया।