हिन्दी भाषा में किसी भी अक्षर को आधा अर्थात् विना अ के लिखा जा सकता है। अक्षर को आधा लिखने की आवश्यक्ता को समझने के लिये ये समझना अनिवार्य है कि व्यञ्जन उस अक्षर की ध्वनि तथा अ की ध्वनि से मिलकर लिखे जाते हैं।
तो यदि हम क को आधा लिखना चाहें तो इसके दो भाग ऐसे होंगे = क्+अ
इस रूप में क् को आधा क कहा जाता है। हिन्दी में ऐसे कुछ अक्षर हैं जो आधे रूप में अपना स्थान तथा रूप दोनों ही परिवर्तन कर लेते हैं। इनमें से र का आधा रूप समझना अनिवार्य है क्योंकि ये तीन-चार प्रकार से प्रयोग में आता है।
र का अपना आधा रूप केवल ऐसे भी लिखा जा सकता है = र्
परन्तु प्रचलन के अनुसार आधा र कई और रूपों में लिखा जाता है। आईये जाने कैसे
इस चित्र में ये दिखाया गया है कि यदि आधे र की ध्वनि अगले अक्षर से पहले है तो र का रूप उस अक्षर के ऊपर दिखाई देगा। यदि आधे र की ध्वनि अगले अक्षर के उपरान्त है तो र का रूप उस अक्षर के पैर पर दिखाई देगा।
इस रूप को कुछ अक्षरों के साथ विशेष प्रकार से दर्शाया जाता है।