विशेषण की तीन अवस्थायें कही जाती हैं-
मूलावस्था – विशेषण का वह मूलरूप जिस में किसी से तुलना ना की जाये। जैसे-
- वह सुन्दर है।
- तुम अच्छी लड़की हो।
उत्तरावस्था – विशेषण का वह रूप जब दो विशेष्यों की विशेषताओं की तुलना की जाये। जैसे-
- वह राम से अधिक सुन्दर है।
- शाम तुमसे अच्छा लड़का है।
उत्तमावस्था – विशेषण का वह रूप जो एक विशेष्य को अन्य सभी की तुलना में बढ़कर बता रहा हो। जैसे-
- तुम सबसे अच्छे लड़के हो।
- रमन में श्रेष्ठतम गुण हैं।