संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का वाक्य में क्रिया के साथ जो सम्बन्ध पाया जाता है, उसे ही हम कारक कहते हैं
जैसे पक्षी को आखेटक ने तीर से मारा। यहाँ क्रिया का सम्बन्ध इस प्रकार है-
–आखेटक क्रिया का करनेवाला है
–पक्षी पर क्रिया का प्रभाव पड़ा है
–तीर क्रिया की पूर्ति का साधन बना है
कारक के भेद (Kinds of Case) –
हिन्दी में कारक के आठ भेद होते हैं। जो इस प्रकार हैं –
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- सम्प्रदान कारक
- अपादान कारक
- सम्बन्ध कारक
- अधिकरण कारक
- सम्बोधन कारक
1. कर्ता कारक – वाक्य में जिस शब्द से क्रिया के करने वाले का ज्ञान हो, उसे कर्ता कारक कहा जाता है। जैसे- बच्चा रो रहा है। लड़का नहा रहा है।—— इन वाकयों में बच्चा और लड़का करता कारक हैं।
2. कर्म कारक – वाक्य में जिस शब्द पर क्रिया का प्रभाव पड़ रहा है, उसे कर्म कारक कहते हैं। जैसे -गुड़िया गेंद खेल रही है। बच्चा पुस्तक पढ़ रहा है। —- इन वाकयों में गेंद और पुस्तक कर्म कारक हैं।
3. करण कारक – वाक्य में जिस शब्द से क्रिया के साधन की जानकारी मिले उसे करण कारक कहा जाता है। जैसे – रमा कलम से रङ्ग भरती है। लड़की हाथ से लिख रही है। —- इन वाकयों में कलम और हाथ से क्रिया के ही साधन हैं। इस लिये करण कारक हैं।
4. सम्प्रदान कारक – वाकय में जिसके लिये क्रिया की जा रही हो, उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है। जैसे – विद्यार्थी गुरुजी को प्रणाम करते हैं। माली लोगों के लिए वृक्ष लगाता है। —– इन वाकयों में क्रिया गुरुजी और लोगों के लिये की जा रही है। इस लिये यह सम्प्रदान कारक है।
5. अपादान कारक – वाक्य में जिस शब्द से व्यकित या वस्तु का भिन्न होना पता चले, उसे अपादान कारक कहते हैं। जैसे – लड़का द्विचक्रिका से गिर गया। आकाश से ओले पड़ रहे हैं। ——- दोनो वाक्यों में द्विचक्रिका और आकाश से अलग होना है, इस लिये यह अपादान कारक है।
6. सम्बन्ध कारक – वाक्य में जब कोई संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द अपना सम्बन्ध क्रिया से हट कर किसी अन्य संज्ञा या सर्वनाम से सूचित या अधिकृत करे तो इस तरह के शब्द को सम्बन्ध कारक कहा जाता है। जैसे – राम के माता जी भोजन बना रहे हैं। श्याम की बहन पुस्तक पड़ रही है। —– इन वाक्यों में राम का सम्बन्ध माता से और श्याम की बहन से है, इस लिये राम और श्याम सम्बन्ध कारक हैं।
7. अधिकरण कारक – वाक्य का वह शब्द जो क्रिया के आधार की ओर संकेत करे, उसे अधिकरण कारक कहा जाता है। जैसे – माली बगीचे में काम कर रहा है। पक्षी रस्सी पर बैठे हैं। —– यहाँ दोनो वाक्यों में बगीचे में और रस्सी पर क्रिया के आधार की ओर सङ्केत है, इस लिये यह अधिकरण कारक हैं।
8. सम्बोधन कारक – वाक्य में वह शब्द जो सम्बोधन के लिये प्रयोग में लाये जाते हैं, उनहें सम्बोधन कारक कहा जाता है। जैसे – मोहन ! किधर जा रहे हो। री ! सुनो, इधर आओ। —– इन वाक्यों में, मोहन और री, सम्बोधन करने के लिये ही उपयुक्त किये गये हैं। इस लिये यह सम्बोधन कारक हैं। इनके पीछे सम्बोधन चिह्न ! लगाना आवश्यक है।
कारक-चिह्न (Signs of Case)
कारक की पह्चान करवा देने वाले शब्द को कारक-चिह्न या परसर्ग कहते हैं।
कारक | कारक चिह्न | उदाहरण |
कर्ता | ने या कुछ नहीं | राम ने भोजन किया। |
वह स्कूल जाती है। | ||
कर्म | को या कुछ नहीं | कुत्ते ने लड़के को काटा। |
उसने भोजन किया। | ||
करण | से या के द्वारा | वह कलम से लिखती है। |
यह काम आप के द्वारा ही होगा। | ||
सम्प्रदान | लिये या को | वह खाने के लिये अङ्गुर लाया है। |
मित्र को कलम दे दो। | ||
अपादान | से (अलग होने के लिये) | वृक्ष से आम गिरा है। |
सम्बन्ध | का, के, की | राम की बहन आ रही है। |
रा, रे, री | तुम्हारा भाई कव आ रहा है? | |
ना, ने, नी | अपना ध्यान रखो। | |
अधिकरण | में या पर | वह कक्षा में है। |
आसन पर बिल्ली बैठी है। | ||
सम्बोधन | कोई नहीं, सम्बोधन चिह्न | रमा ! आप उपर जाओ। |