नाम चाहे जैसे भी लिखा जाये, मन की भावना का महत्व अधिक रहता है। फिर भले ही आप साई बाबा लिखें, साँई बाबा लिखें या साईं बाबा लिखें।
नाम में ही शक्ति विराजमान रहती है परन्तु नाम के शब्दरूप ही ये शक्ति निर्भर नहीं रहती। यदि आप मन को एकाग्र कर सकते हैं तथा अपनी ऊर्जा को उस नाम के साथ जोड़ने का प्रयत्न कर सकते हैं, तो आपको नाम के शब्द रूप के बारे में अधिक चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है।
साई बाबा का नाम आपके अन्तर्मन में बसा है तो किसी भी प्रकार का भय आपको छू नहीं सकता। जीवन में परिस्थितियाँ तथा विवशतायें बनती रहेंगी परन्तु भगवान पर विश्वास डोलना नहीं चाहिये।
यदि आप इस बारे में कुछ भी कहना चाहें तो मुझे जानकर अधिक प्रसन्नता का आभास होगा।
मुझे बतायें यदि आप ने कभी भगवान पर विश्वास करके जीवन में सुख ना पाया हो।