कल मेरी बेटी जो कि दो वर्ष से भी छोटी उमर की है, एक काले पैन्न के साथ मेरे हाथ तथा बाजू पर रेखायें खींच रही थी। वो कागज़ के पन्नों पर भी ऐसा ही कुछ करती रहती है। उसको ये तो ज्ञान नहीं है कि कितने बल से उस पैन्न को चलाना है तो कई बार पीड़ा के कारण मैं उफ़ की ध्वनि करता था तो झट से पूछती थी–क्या हुआ।
अब ये शब्द उसने हमसे ही सीखें हैं। वो जब भी रोती है तो उसकी माँ या मैं पूछता हूँ कि क्या हुआ। बच्चे का भाषा ज्ञान उसके वातावरण से ही होता है।
इस घटना के उपरान्त मैं ये सोचने लगा कि कौन कौन से शब्द मेरी बेटी समझ या बोल लेती है।
- डॉगी, ये शब्द कुत्ते के लिये प्रयोग करती है तथा ये अङ्ग्रेज़ी भाषा का है।
- पिग्गी, ये शब्द सूअर के लिये प्रयोग करती है तथा ये अङ्ग्रेज़ी भाषा का है।
- जहाज़, ये शब्द वायुयान के लिये प्रयोग करती है जो कि अरबी भाषा से है।
मैं यो सोच रहा था कि भारत में रहने वाले बच्चे बाल्य काल से ही विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करने लग जाते हैं। हिन्दी, अङ्ग्रेज़ी, अरबी, तुर्की या फारसी तथा अन्य प्रान्तीय भाषा। कई विशेषज्ञों का मानना ये है कि यही कारण है कि भारतीय मूल के लोग एक से अधिक भाषा शीघ्रता से सीखने में सक्षम होते हैं।
मुझे स्वयं भाषायें सीखने में अधिक रुचि थी तथा किसी समय 17 भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लेना चाहता था। परन्तु एक घिसे हुए वाक्य की तरह मुझे समय नहीं मिल पाया।
इस ब्लॉग के माध्यम से मैं अपनी भाषा के बारे में बातें करने की भूख को शान्त करता हूँ। आशा है कि आप इससे किसी ना किसी प्रकार लाभान्वित होते होंगे।