Short Story in Hindi With Moral for Class 3

Writing stories for kids is not easy–more so in the Hindi language because my working language is English. However, whenever there is some incident or happening that involves my daughter or I feel is appropriate for her age, I try to mould that into a story.

This incident also happened with me very recently when a butterfly got stuck in my t-shirt and we noticed her when I removed my t-shirt. First we thought that we will leave the butterfly as it is but then we took her back to our plot where she came from.

I hope children will be encouraged to be more sensitive towards bees and butterflies by reading this story. It is particularly appropriate for grade 1-3 if you want to use this story in any way. Share your feedback also if you feel like.

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छोटी लड़की और तितली

एक समय की बात है एक छोटी लड़की जो कि दूसरी कक्षा में पढ़ती थी अपने घर में खेल रही थी। सुबह का समय था तथा उसकी माँ उसे नहलाने ही लगीं थीं कि उसने अपने पिता के आने की ध्वनि सुनी।

वो पूछने लगी कि वो कहाँ गये थे तो उसके पिता ने उत्तर दिया कि वो उनके सब्ज़ी वाले मैदान में गये थे। उनका एक छोटा से प्लॉट था जिसमें वो कभी-कभी सब्ज़ी उगाते थे। उसके पिता चाहते थे कि गुड़िया को पढ़ाई के साथ-साथ सामान्य ज्ञान भी हो। इस लिये कभी-कभी वो उसे वहाँ ले भी जाया करते थे।

उसके पिता अपना कुर्ता उतारने लगे क्योंकि मार्च का महीना था तथा गर्मी का आरम्भ लगभग हो चुका था। जैसे ही पिता जी ने अपना कुर्ता उतारा उसमें से एक तितली निकली। उस लड़की ने देख लिया तथा प्रसन्नता व आश्चर्य के कारण उसकी चीख निकल गई। पिता जी ने देखा कि तितली दरवाज़े पर जा बैठी थी।

उन्होंने कहा: “अरे, ये कहाँ से आ गई?”

उसके उपरान्त उन्होंने सोचा कि प्रायः सब्ज़ी काटते हुये वो उनके कुर्ते में घुस गई होगी।

लड़की अपनी उत्तेजना पर नियन्त्रण नहीं कर पा रही थी–उसका मन उस तितली को हाथ में पकड़ने को मचल रहा था पर उसके पिता ने समझाया कि उसके पङ्ख अधिक कोमल होते हैं। पकड़ने से उसे क्षति पहुँच सकती है।

“तो अब क्या करें, पापा?”

“इसको बाहर छोड़ देते हैं और ये उड़ जायेगी।” पिता जी ने कहा।

“नहीं, ये यहाँ से आई है इसको वहीं छोड़ना होगा अन्यथा इसके परिवार वाले इसे ढूँढते रहेंगे।” लड़की ने कहा। वो सोच रही थी कि तितलियों का भी तो परिवार होता होगा।

पिता जी को अपनी बेटी की ये भोली बात बड़ी अच्छी लगी। उन्होंने शीघ्र अपना कुर्ता पुनः पहना तथा तितली को बड़ी सावधानी से एक बिना ढक्कन वाले डिब्बे में डाल लिया। स्कूटर पर अपनी बेटी को बिठा कर वो अपने सब्ज़ी वाले मैदान पर पहुँचे तथा तितली को धीरे से फूलों के एक पौधे पर छोड़ दिया।

लड़की तितली को फूलों पर देख कर बहुत प्रसन्न हुई।

पिता जी ने अपनी बेटी को प्यार किया तथा दोनों घर आ गये। उन्हें अच्छा लग रहा था कि उनकी बेटी अन्य जीवों के प्रति स्नेह का भाव रखती है।

शिक्षा: हमें सभी प्राणियों तथा जीवों से प्रेम व स्नेह करना चाहिये।

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