प्रदूषण सम्पूर्ण जीव-जगत को प्रभावित करता है और मनुष्य ही है जो पृथिवी पर प्रदूषण फैलाता है। लाखों लोग प्रति वर्ष प्रदूषण के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं परन्तु मनुष्य ने कभी भी सजगता से इसको रोकने पर काम नहीं किया। प्रदूषण की प्रतिशत दिन-प्रति-दिन बढ़ती ही जा रही है, भले ही भूमि हो, जल, वायु हो या ध्वनि हो।
नीचे हमनें बच्चों के उपयोग के लिये प्रदूषण की समस्या पर एक अनुच्छेद दिया है जिसे आप जैसे चाहें प्रयोग कर सकते हैं। यदि कोई सुझाव या प्रश्न हो तो हमें टिप्पणी के माध्यम से अवश्य लिखें:
प्रदूषण की समस्या
आज-कल प्रदूषण एक गंभीर समस्या के रूप में दिखाई दे रहा है। आने वाले समय में यह एक विशाल रूप धारण कर सकता है और आने वाली पीढ़ी को यह बहुत हानि पहुँचा सकता है, इस लिए हमें अभी से ही प्रदूषण को नियंत्रित करना होगा। प्रदूषण का अर्थ होता है पर्यावरण का दूषित होना जिससे प्रकृति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इन सब से प्रकृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और प्राकृतिक आपदा आने का भय सदा बना रहता है। वायु प्रदूषण का अर्थ होता है हवा का दूषित होना जो की मानवीय कार्यों से होता है। वायु प्रदूषण के मुख्य कारण बहुत से होते हैं जैसे की फैक्टरियों में से धुआँ निकलना, मोटरगाड़ियों का धुआँ, जीवाश्म ईंधन का जलना इत्यादि। वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता और इससे हमें बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ता है जैसे की अस्थमा, सीने में दर्द, साँस लेने में समस्या इत्यादि। डॉक्टरों का तो यह भी मानना है की इससे हमारे फेफड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जल प्रदूषण का अर्थ होता है जल का दूषित होना। जल प्रदूषण के भी बहुत से कारण होते हैं जैसे की फैक्टरियों में से हानिकारक रसायनों का नदियों में गिरना, लोगों का नदियों-नालों में कूड़ा गिराना, गंदे नालों का पानी नदियों या तालाबों में छोड़ना इत्यादि। जल प्रदूषण की वजह से जानवरों को बहुत हानि पहुँच रही है। दिन-प्रति-दिन पानी में रहने वाले जीवों की मृत्यु हो रही है जिसका एक मुख्य कारन जल का दूषित होना है। इससे बहुत सी बीमारियां फैलती हैं जैसे की हैज़ा, दस्त, टाइफ़ॉइड, त्वचा रोग, पोलियो इत्यादि। अगर हम अभी से जल को दूषित होने से रोक लेंगे तो यह हमारे भविष्य के लिए कारगर सिद्ध होगा। भूमि प्रदूषण का अर्थ होता है भूमि का दूषित होना। इसके भी बहुत से कारन होते हैं जैसे की लोगों द्वारा धरती पर कूड़ा-करकट गिराना, खुले में शौच करना, किसानों द्वारा हानिकारक रसायन मिट्टी में मिलाना, इत्यादि। यह सभी कारणों से ही भूमि प्रदूषण बढ़ रहा है और धरती की उपजाऊ शक्ति दिन-पर-दिन कम हो रही है। भूमि प्रदूषण की वजह से हमें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह बहुत सी बिमारियों को आमंत्रित कर रहा है जैसे की नर्वस सिस्टम का नष्ट हो जाना (यह तभी होता है जब लैड्ड नामक पदार्थ मिट्टी में मौजूद हो), गुर्दा और जिगर का ख़राब होना (यह तब होता है जब मिट्टी में मरकरी नामक रसायन मौजूद हो) और आँखों में जलन, सर में दर्द होना इत्यादि। इससे हम तभी राहत पा सकते हैं जब हम भूमि प्रदूषण को नियंत्रित करेंगे। ध्वनि प्रदूषण का अर्थ होता है अनुपयोगी ध्वनियों का पर्यावरण में लगातार प्रसार होना। ध्वनि प्रदूषण बहुत से कारणों से होता है जैसे की मोटरगाड़ियों द्वारा अनुपयोगी हॉर्न बजाना, त्योहारों पर पटाखे चलना, शादियों या समारोह में डीजे या स्पीकरों से होने वाला शोर, आदि। इससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और यह हमारे कानों और हृदय पर बहुत गहरा असर डालता है। ऊँची ध्वनि से हमारे कानों के परदे फट सकते हैं और दिल का दौरा पड़ने की भी संभावना बनी रहती है। हम कम से कम ध्वनि प्रदूषण करकर इन सभी संभावनाओं को रोक सकते हैं। ध्वनि प्रदूषण से पर्यावरण में रहने वाले और जीव-जंतुओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो कोमल पक्षियों की पटाखों की आवाज़ से हृदय का दौरा पड़ने के कारण मृत्यु भी हो जाती है। हमें पर्यावरण के संरक्षण के लिए अनुपयोग ध्वनि का प्रसारण नहीं करना चाहिए। प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन बढ़ने के कारन हमें आज से ही संकल्प लेना होगा की हम अपने भविष्य को सुधारने के लिए और सफल बनाने के लिए हम इसे नियंत्रित करेंगे और प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करेंगे। हम इसी तरह पर्यावरण को स्वच्छ रखकर अपना जीवन खुशहाल बना सकते हैं और आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचा सकते हैं।