1. चाँदनी रात में बैठा हूँ लिए तुम्हारी यादों के साए,
सामने चमकने वाले सितारे को तुम्हारा दर्पण बनाए।
दिन के उजालों से हूँ मैं थोड़ा परेशान,
रात के अन्धेरे में शायद तुम्हारा चेहरा नज़र आए।
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2. आसमाँ में देखो तो सितारे दिखाई देते हैं,
नीचे देखो तो ये लोग सारे दिखाई देते हैं।
ये ग़म इसका है, ये ग़म उसका है,
भई हमें तो सारे ग़म हमारे दिखाई देते हैं।
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