Hindi Poem–रोहतक से चलकर रूह तक
कोई था जो रोहतक से चलकर रूह तक आता था अब तो जलने और जलाने के समाचार ही आते हैं। वो बातें किया करता था मीलों…
Hindi Poem–अरी सखी
अरी सखी कौन कहता है तू अबला है तू तो लक्षमी है जो रणचण्डी बनी। तू तो सत्य से भी विचित्र कल्पना है जो अन्तरिक्ष…
A poem in Hindi
तुम मेरे नहीं हो सकते ये मैं जानता हूँ। मैं जानता हूँ तुम मेरे नहीं हो सकते। मगर क्या कभी काँटों ने फूलों की तरह नहीं खिलना…